एक बार एक आर्य-समाजी व्यक्ति व्यर्थ ही टेम्बे स्वामी से वाद विवाद करने चला आता है, उसकी वेद्विक व आध्यात्मिक पात्रता न होने के कारण श्री स्वामी मौन धारण कर लेते है.
स्वामीजी के मौन से चिडकर वह आर्य-समाजी व्यक्ति उलटे-सीधे बोल बोलने लगता है. इस पर श्री स्वामी शांतिपूर्वक उससे कहते है, “अगर हम पर आपका इतना ही रोष है तो आप हमारी पिटाई करके अपना चित्त शांत कर लीजिये.”
इस पर वह अल्पबुद्धि आर्य-समाजी सच में ही श्री स्वामी पर हात उठाने आगे बढ़ जाता है, पर दत्तप्रभु की प्रेरणा से यह विवाद देख रही एक महिला जोर-जोर से चिल्लाकर अपना विरोध प्रकट करती है.
उस महिला की आवाज सुनकर और भी शिष्य व भक्तजन आकर अपनी खबर ले लेंगे इस डर से वह आर्य-समाजी भाग खड़ा होता है.
स्वामीजी के मौन से चिडकर वह आर्य-समाजी व्यक्ति उलटे-सीधे बोल बोलने लगता है. इस पर श्री स्वामी शांतिपूर्वक उससे कहते है, “अगर हम पर आपका इतना ही रोष है तो आप हमारी पिटाई करके अपना चित्त शांत कर लीजिये.”
इस पर वह अल्पबुद्धि आर्य-समाजी सच में ही श्री स्वामी पर हात उठाने आगे बढ़ जाता है, पर दत्तप्रभु की प्रेरणा से यह विवाद देख रही एक महिला जोर-जोर से चिल्लाकर अपना विरोध प्रकट करती है.
उस महिला की आवाज सुनकर और भी शिष्य व भक्तजन आकर अपनी खबर ले लेंगे इस डर से वह आर्य-समाजी भाग खड़ा होता है.